गुप्त नवरात्री में माँ दुर्गा पूजन

भगवती दुर्गा त्रिनेत्रा हैं अतः शैव कुल की परम शक्ति हैं| 36 भुवनों में से प्रत्येक भुवन रूपी दुर्ग की संरक्षिका, द्वारपालिका दुर्गा ही हैं | एक कोश से या एक भुवन से दूसरे भुवन तक की दुर्गम यात्रा सुगम हो सके इसके लिए भी भगवती के दुर्गा स्वरुप की स्तुति की जाती है |

दैवीय बल के आभाव में शारीरिक बल, भौतिक बल, स्थूल बल इत्यादि पशु तुल्य हो जाते हैं, पशु प्रवृत्ति से ग्रसित हो जाते हैं और कालान्तर आसुरी बल में परिवर्तित हो जाते हैं| आसुरी बल का अंत आत्मघात है| आसुरी बल का विसर्जन स्वघात के माध्यम से ही संपन्न होता है अतः जिस मानव समुदाय ने दैवीय बल के महत्त्व को समझा, उसका अनुसन्धान किया, उसकी स्तुति की, उसके द्वारा स्वयं संचालित किया वही भविष्य में अति विकसित मानव के रूप में उदित हुआ है|

शक्ति आराधना का पर्व नवरात्रि प्रारंभ हो रही है | अतः सभी साधकों के लिए 9 दिवसीय माँ शक्ति की आराधना एवं कृपा प्राप्ति हेतु पूजन विधान निम्न प्रकार से है

सर्वप्रथम प्रातः काल स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा स्थान में पूर्व या उत्तर की ओर मुँह करके बैठें इसके बाद पवित्रीकरण कर गुरु पूजन के पश्चात् निम्न प्रकार से माँ दुर्गा की आराधना करें –

सर्वप्रथम अर्गला,कीलक एवं दुर्गा कवच, का पाठ करें. तत्पश्चात माँ के 3 रहस्यों एवं सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें. यह आपको दुर्गा सप्तशती में प्राप्त हो जायेगा. एवं निम्न मन्त्र की 11 माला जप करें :

ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः (aum hrim dum durgayei namah)

एवं रात्रि में निम्न मन्त्र का 11 माला जप करे :

ॐ ह्रीं नमः (aum hrim namah)

दोनों ही समय पूजन के बाद क्षमा प्रार्थना अवश्य करें