दशम कमलात्मिका महाविद्या – भगवती महालक्ष्मी

भगवती महालक्ष्मी दशम कमलात्मिका महाविद्या हैं | यही कमला हैं, ये त्रिलोकी माता हैं, ये धन-धान्य प्रदान करने वाली हैं, सौभाग्य दायिनी जीवन में सब कुछ प्रदान करती हैं | अगर इनकी किसी पर तिरछी दृष्टि हो जाये तो वह व्यक्ति विपत्ति में पड़ जाता हैं, इनकी छत्र-छाया में रहने वाला समस्त पापों से निवृत हो जाता है |

महालक्ष्मी शक्ति के तीन रूप हैं परा विष्णु शक्ति, अपरा क्षेत्र शक्ति, अविद्या अर्थात क्रियाशक्ति | ये ही परब्रह्म स्वरुप हैं, चंद्रमा की चाँदनी के सामान अनपायनी, अहंता पराशक्ति भी आप हैं, आप ही सनातनी शक्ति हैं, आप ही नारायणी हैं | महालक्ष्मी स्वयं कहती हैं कि मैं नित्य, निर्दोष, कल्याण गुणों वाली नारायणी वैष्णवी परासत्ता हूँ, आप ही विष्णु को क्रियाशील बनाती हैं, वह कहती हैं कि मैं जो भी कार्य करती हूँ वह विष्णु का किया हुआ कहा जाता है |

महालक्ष्मी के पाँच कार्य हैं सृष्टि, स्थिति, संहार, तिरोभाव और अनुग्रह | अनुग्रह कहते हैं मोक्ष को |
जिस प्रकार ईश्वर अवतार ग्रहण करते हैं उसी प्रकार लक्ष्मी जी देह धारण करती हैं | कृष्णावतार में रुक्मणि, रामावतार में वे सीता, बैकुंठ में महालक्ष्मी, क्षीर सागर में विष्णु की शैया पर लक्ष्मी, इंद्र के भवन में स्वर्ग लक्ष्मी, राजभवन में राजलक्ष्मी, गृहस्थों के यहाँ गृहलक्ष्मी, समुद्र से उत्पन्न सुरभि गाय, यक्ष में दक्षिणा के रूप में विद्यमान रहती हैं | त्रैलोक में राधा, गौलोक में सुरभि, भूलोक में राजलक्ष्मी |

आद्या शक्ति महालक्ष्मी अनादि अनन्ता हैं, उनके प्रकाट्य का कोई भी काल नहीं है, अपने भक्तों की रक्षा के लिए वे समय-समय पर विभिन्न रूपों में अवतरित होती हैं |

लक्ष्मी जी का आसान कमल है और उनके हाथ में भी कमल है, दो हाथी जल पूरित स्वर्ण कलश से उनके दाएं-बाएं रहते हैं, इनका वाहन उलूक है उनके एक हाथ में कमल दूसरे हाथ में बिल्वपत्र, तीसरे हाथ में अभय और चौथे हाथ में वरमुद्रा रहती है |

कमल कीचड़ में उत्पन्न होता है पर वह कीचड़ में लिप्त नहीं होता, जल में रहते हुए भी जल का उस पर नहीं पड़ता | कमल के आसान पर बैठना और कमल पुष्प हाथ में धारण करना यह इस है बात का प्रतीक है कि संसार में रहते हुए भी विषय वासना में लिप्त नहीं होना चाहिए और इन हाथों से वही कर्म करने चाहिए जो सुन्दर और शुभ हों | बिल्वफल ब्रह्माण्ड का प्रतीक है, वे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को अपने हाथों में सुरक्षित रखे हुए हैं जो उनके शरण में आता है उसे वे सुरक्षित रखती हैं और वे अपने भक्तों वर तथा अभय प्रदान करती हैं | उलूक वाहन का तात्पर्य है कि जब अज्ञानियों के पास अधिक संपत्ति आ जाती है तो वह अहंकार में अंधा हो जाता है और संपत्ति का दुरूपयोग करने लगता है और वे संपत्ति का सदुपयोग करने से वंचित रह जाता है, ऐसे लोग उलूक भांति समाज में यश और सम्मान को उपलब्ध नहीं होते और उलूक की भांति प्रकाश में छिपे रहते हैं | हाथी अत्यंत बुद्धिमान पशु है, दो हाथी महालक्ष्मी के दाएं-बाएं खड़े रहते हैं बुद्धिमान मनुष्य धन और ऐश्वर्य पाकर भगवती के चरणों में ही समर्पित करते हैं, वे अपने धन को शुभ कार्य में व्यय करते हैं और शुभ कार्य श्री के ही लक्ष्मी के प्रतिरूप हैं और ऐसे लोग जो शुभ कार्य में धन व्यय करते हैं तो महालक्ष्मी की प्रसन्नता, उनकी कृपा उनके ऊपर बरसती रहती है |

दुर्गा सप्तशती में सभी देवताओं ने दुर्गा जी की आराधना महालक्ष्मी के रूप में की है, हे देवी शरणागत दीनों एवं आर्थ प्राणियों की विपत्तियों का हरण करने वाली देवी आपको नमस्कार है |

त्रिगुणमयी परमेश्वरि महालक्ष्मी ही सबका आदि कारण हैं | वे ही दृश्य और अद्र्शय रूप से सम्पूर्ण विश्व को व्याप्त करके स्थित हैं |

गृहस्थस्य क्रियाः सर्वाः आगमोक्ता कलौ शिवे |
नान्यमार्गे क्रियासिद्धि कदापि गृहमेदिनाम ||