किसी से तुलना मत करो
जब गुलाब का एक फूल खिलता है तो वह इस बात कि फिक्र नहीं करता कि दूसरे अन्य फूल मुझसे छोटे हंै या फिर बड़े हंै। वह अपने आप में ही खुश और आनंदित रहता है अन्य बड़े फूलों की तरह वह भी खुशी से झूमता रहता है वह जानता है पराम्बा उसे स्वीकार कर रही हंै परा अस्तित्व उसे स्वीकार कर रहा है।
मैं जैसा हूँ उसमें बहुत खुश हूँ, अगर तुम भी खुश रहना चाहते हो तो मुझसे कुछ मत पूछो, अपने आप में मस्त रहो खुश रहो, यही जीवन है।
मैं आपको विवेकानंद बनाना नहीं चाहती न ही मैं तुम्हें राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर इत्यादि बनाना चाहती हूँ, इसकी कोई जरूरत नहीं है वह सब हो चुके हंै और आप अभी हंै मैं आपको वही बनाना चाहती हूँ जो आप हो सकते हंै जो बीज आपके अंदर है वही अंकुरित होना चाहिए। मैं आपको किसी से भी आगे पीछे रखना नहीं चाहती और आप किसी से कम भी नहीं है। हमारे शिष्य अपनी जगह सही हंै जो भी सुगंध छुपाई है अपने हृदय में वह बाहर आ सके मैं तो बस इसी का प्रयास कर रही हूँ, मैं आपको आप ही बनाना चाहती हूँ, आपकी अपने आप से पहचान कराना चाहती हूँ।
आनंद पुण्य है जो आनंदित है वह पुण्य आत्मा है।
साधना का अर्थ यह नहीं है कि बुराई को छोड़ो और भलाई को पकड़ो, साधना का वास्तविक अर्थ है बुराई से सत्य की तरफ आगे बढ़ो उस पर विजय प्राप्त करो भलाई में भी सत्य की तरफ आगे बढ़ो दोनो के अनुभव का निचोड़ निकालो ताकि आपकी समझ गहरी हो जाए। क्योंकि बुराई और भलाई दोनो से साधक का हृदय विस्तीर्ण हो जाए, दोनो के बीच तुम्हें अपना सामजस्य बैठाना पड़ेगा तुम अपनी नाव को बहने दो और ताकि वह अपनी सही मंजिल सागर तक पहुँच सके। पाप और पुण्य तुम्हारे किनारे बन जाएँ तुम किसी को मत चुनना न पाप को और न ही पुण्य को अगर तुम पुण्य को चुनोगे तो भी किनारे पर ही रह जाओगे और अगत तुम पाप को चुनोगे तो भी किनारे पर ही रहोगेे सागर तक नहीं पहुँच पाओगे जो दोनो का सही उपयोग कर लेगा उसमें सामंजस्य स्थापित कर लेगा तुम अपनी बुराई से भी भयभीत मत होना।