मंत्र रहस्यम्

यह संसार एक विचार है अगर आपने विज्ञान में छलांग लगा दी तो उसका एक अलग महत्व है अगर आपने धर्म के क्षेत्र में छलांग लगा दी उसका अपना एक अलग क्षेत्र है यह संसार रहस्यों से भरा पड़ा है। आप एक रहस्य से पदा हटाते है फिर आपके सामने दूसरे रहस्य खड़े हो जाते है जिस प्रकार आपके मन मस्तिष्क में निरंतर विचार चलते रहते है।

हम जो शब्द सुनेगे वह शाश्वत हंै जब हम बिल्कुल चुप होंगे तब उनके शब्द सुनाई पड़ेगें। पराम्बा से बोलना नहीं है उन्हें सिर्फ सुनना है।

कोई अल्लाह हूँ, बोल रहा है, कोई लाहू बोल रहा है, कोई हल्रीं बोल रहा है, कोई हलीं बोल रहा है, कोई बगला बोल रहा है, कोई पराम्बा बोल रहा है ठीक उच्चारण क्या है। मुझे पता नहीं है मैं क्या करता हूँ या मैं क्या करती हूँ, तुम ही मुझे बताओ। हम ठीक उच्चारण, व्याकरण में लगे रहते हंै बाल्मिकी राम-राम जपते जपते मरा-मरा कहने लगे और वह सिद्ध हो गए।

तुम्हारा मंत्र नाभि तक पहुँच जाना चाहिए जब मंत्र नाभि तक पहुँचता है। तब हम जो भी बोलते हंै तब वह कुछ और मंत्र होता है। और जब हम सुनते हंै तो वह कुछ और हो जाताहै मंत्र का सीधा संबंध आपकी प्राण चेतना से है वहाँ से निकलने वाला मंत्र सीधा ईश्वर तक पहुँचता है यहीं मंत्र रहस्य है।