माँ बगलामुखी मन्त्र साधना के लाभ एवं श्रीवल्गा तत्व रहस्यम्‌

आद्या परम शक्ति कभी भुवनेश्वरि के रूप में,कभी महा त्रिपुर सुंदरी के रूप में ,कभी कलिका के रूप में,तो कभी बगलामुखी के रूप में प्रकट हुई, भगवती बगलामुखी ब्रम्ह विद्या हैं | लोग भगवती बगलामुखी का उपयोग अभिचारकर्म के लिए भी करतें हैं कुछ लोग स्तम्भन, विद्वेषण ,उच्चाटन, मारण इत्यादि में भी इस विद्या का उपयोग करतें हैं | जो लोग अपने निजी स्वार्थ की पूर्ती के लिए अभिचारकर्म करतें हैं उन्हें तो देवता भी श्राप दे देंतें हैं | यह देवी महाभोगवती, महामोक्षदायनी, सर्वसिद्धिप्रदा, सर्व आरोग्य प्रदायनी   स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान है देवी बगला अपने साधक को पूर्ण भोग प्रदान करतीं हैं वह ही साधक को सम्पूर्ण मोक्ष प्रदान करतीं हैं | लोग गलत तरीके से पापमय चित्त की अवस्था में कुछ अभिचार कर्म करके सोचते हैं, उनकी बगला साधना हो गयी पर ऐसे लोग स्वयं को गहरी खाई में धकेल लेंतें  हैं |  ऐसे लोग अपने हांथों से अपनी मृत्यु शैया का निर्माण करतें है | बगला का साधक जीवन मुक्त होता है पीताम्बरा के साथ एकात्म प्राप्त करता है | बगला का साधक परम तुरीय अवस्था को सहजता से प्राप्त कर लेता है |

बगलामुखी महास्तंभकारिणी देवी है वह मन का स्तम्भन कर देती है इसलिए बगला का साधक हमेशा महा भाव की अवस्था में रहता है वह तुरीय को साथ लेता है और उसमें मग्न हो जाता है बगला का साधक स्वचित्त में प्रवेश कर जाता है जब वह स्वचित्त में प्रवेश करता है तब बगला के साधक में पहली बार प्राण समाचार का उदय होता है प्राण समाचार के उदय होने का मतलब होता है कि साधक सर्वत्र पीताम्बरा की ऊर्जा का स्फुरण है उसे ऐसा अनुभव होने लगता  है कि उसे स्वयं के प्राणों से सर्वत्र सामाचार मिलने लगतें हैं |

ह्ल्रीं का साधक आत्म दर्शन कर लेता है इधर आत्मा को जाना उधर पराम्बा के दर्शन हो गए पीताम्बरा का साधक ही सम्यक दर्शन को प्राप्त होता है ऐसा साधक शिवतुल्य हो जाता है | जब साधक स्वचित्त में प्रवेश करता है तब उसे प्राण समाचार मिलने लगतें हैं फिर हर जगह  बगला की ऊर्जा का स्मरण होता है |

हे माँ बगला तुम सर्वरूपा ,सर्वमन्त्रमयी सर्वशक्तिमयी ,सर्वत्रिदेवमयी ,सर्व आकृतिमयी,सच्चिदानन्दमयी ,परब्रह्म स्वरूपणी हो तुम्हारा मंत्र जपते जपते साधक के अंदर तुरियावस्था आ जाती है और तेरा साधक स्वचित्त में प्रवेश कर जाता है |  भगवती बगला सर्वदेव ,सर्वेश्वरी पराशक्ति की देवी है वह सर्वदेवमयी है |

माँ बगलामुखी का साधक विवेक संपन्न बुद्धिवाला संयतमनवाला होता है उसकी इन्द्रियां भी उसके नियंत्रण (वश) में रहती हैं | बगलामुखी अपने साधक को स्थिरता प्रदान करती है , आप अपने साधक को स्थिर सुख प्रदान करती हैं आप अपने साधक को स्थिर लक्ष्मी प्रदान करती हैं आप अपने साधक को मन एवं बुद्धि की स्थिरता प्रदान करती हैं इसी स्थिति के द्वारा साधक में सम्यक स्थिरता आती है इससे ही साधक में सम्यक ज्ञान का उदय होता है इसी ज्ञान के कारण आपका साधक परम अवस्था को प्राप्त होता है |

प्रारम्भिक अवस्था में बगला के साधक में कुछ लक्षण प्रकट होने लगते हैं | उसका शरीर उसे एकदम हल्का महसूस होने लगता है उसे समस्त रोगों से मुक्ति मिल जाती है शरीर का वर्ण उज्जवल हो जाता है |

माँ बगलामुखी का ध्यान करने से साधक को अमृत की प्राप्ति होती है | इससे साधक को समस्त सिद्धियों की प्राप्ति सहजता से हो जाती है |

इससे साधक जगत की सृष्टि, स्थिती एवं संहार तीनों व्यापारों का निष्पादक बन   जाता है | वह सबका स्वामी बन जाता है वही यथार्थ में शैव , शाक्त, वैष्णव एवं  गणक होता है, वह जीवन मुक्त हो जाता है |

वह सामर्थ्य एवं सिद्धियां प्राप्त कर  लेता है, मोक्षार्थी को मोक्ष मिलता है, धनार्थी को मनोवांछित धन की प्राप्ति होती है | विद्यार्थी को तर्कशास्त्र की प्राप्ति होती है  इतना ही नहीं यदि कोई शत्रु  अहित  करना  चाहता  है तो उसका विनाश हो जाता है | राजा भी अनुगामी हो जाता है प्रेम, विरह ,व्याकुलता एवं पश्चताप इस मार्ग के पुष्प है | परम चैतन्यता परम जागृति भी माँ बगलामुखी ही साधक को प्रदान करती हैं |

वह अपने साधक को सोने नहीं देती, उसे वह बेहोश होने नहीं देती जबकि हम लोगों के सरे कार्य बेहोशी में ही होतें हैं| तुमने अपने जीवन में जो भी पाप और  पुण्य किये वह सब भी बेहोशी में किये इसलिए तुम्हे पाप और पुण्य में बहुत ज्यादा फर्क नज़र नहीं आता है | उनका गुणधर्म एक सा ही है तुम घर बसाओ, घर नहीं बसा पाए तो सन्यासी हो जाओ ,मुनि बन जाओ ,साधु बन जाओ इससे कोई फर्क नहीं पड़ता | क्यूंकि तुम बेहोश हो तुम नींद में हो तुम हर जगह बेहोश दिखाई देते हो, दुकान पर तुम बेहोश हो , मंदिर में बैठे हुए हो पर नींद में हो असली सवाल बेहोशी तोड़ने का है |

“ह्ल्रीं” के साधक की पूरी बेहोशी चली जाती है चाहे फिर वह कोई भी कार्य करता है वह पूर्ण होश में व ध्यान में करता है | क्योंकि  उसका  जागरण केंद्र पर होता है | वह जो भी बोलतें है जप हो जाता है |