परम पावन सिद्ध तीर्थ निखिलधाम

इस स्थान के दर्शन मात्र से ही आपको दिव्य अनुभूतियां होने लगती हैं इसके दर्शन मात्र से ही आपको परम आनन्द की प्राप्ति होती है।

निखिलधाम का क्षेत्र सनातन तीर्थ स्थान है।

एक आध्यात्मिक शिष्य को गुरू के गर्भ में जाना जरूरी है। शिष्य होने का अर्थ यही है वह गुरू के गर्भ में प्रवेश करे, गुरू कोई शरीर नहीं है गर्भ का मतलव है गुरू की चेतना के दायरे में प्रवेश करना।

ú आधारभूत ध्वनि है यह तीन अक्षरों से बनी है अ उ और म इसी ध्वनि से सारे मंत्रों की ध्वनियां उत्पन्न होती है ú सबका मूल है ú महामंत्र है अध्यात्म में उससे बढक़र कुछ भी नहीं है जिसने इसे समझ लिया उसने सब कुछ जान लिया।

ú सृजन की शक्ति का सूत्र है यही महा सृजन की शक्ति का सूत्र है इससे हम जीवन के मूल केन्द्र पर पहुँच जाते हंै जहाँ से सृष्टि शुरू हुई थी जहां से जीवन की सारी गंगा बहती है वह स्थान गंगोत्री है।