पारद निर्मित राजा गणेश
दुकान में, शोरुम में, व्यापारिक प्रतिष्ठान में, कारखानों में जहाँ भी राजा गणेश राजमुद्रा में विराजमान हो जाते है बस वहीं राजयोग प्रारम्भ हो जाता है । आप राजा के समान कुर्सी पर बैठिए सब कुछ आसानी से होने लगेगा । राजा गणेश के सामने रुद्राक्ष माला से प्रतिदिन दो माला गं नम: मंत्र का जाप करन चाहिए । इससे जातक के हाथ में राजयोग रेखा बनने लगती है । शूप-कर्ण गणपति की उपासना उन लोगों को करनी चाहिए जहाँ पर अत्यधिक क्लेश हो, घर परिवार में आपस में घोर विवाद हो । यह उग्रता शांत करते है एवं जातक को निर्मल बनाते है । हाथी अपने कान हिलाता है एवं उससे शीतल हवा मिलती है और विशालकाय गज शरीर के अंदर शीतलता का निर्माण होता है । हाथी स्वभाव से धीर, गंभिर एवं शांत होता है एवं इसका राज उसके विकसित कर्ण है । शूप कर्ण गणपति के सामने ऐं ह्रीं श्रीं श्रीयुक्ताय विघ्नेशाय नम: मंत्र का जप करना चाहिए ।
अष्ठम भाव में राहु द्वितीय भाव में केतु और सभी ग्रहों का इनके मध्य में स्थित होने पर कार्कोटक काल सर्प योग का निर्माण होता है । इस काल सर्प योग से ग्रसित जातक को पार निर्मित राजा गणेश की पूजा करनी चाहिए जो कि सूर्य का प्रतीक है । राजा गणेश स्थापित कर उन्हें स्वर्ण ग्रास देने से कार्कोटक काल सर्प योग का विमोचन होता है । जातक को ऊँ ह्रीं स्वर्ण आभायोक्ताय सूर्यरूपाय श्री गणेशाय नम: मंत्र की एक माला प्रतिदिन करनी चाहिए, इसके साथ ही 12 मुखी रुद्राक्ष गले में धारण करना चाहिए अन्यथा भाग्य का सूर्य अस्त एवं चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा । जातक का भाग्य उदय ही नहीं होता है । न नौकरी मिलती है, न व्यवसाय जमता है, न पैतृक सम्पत्ति मिलती है बस लूटपाट, हड़पने वालों, धोखा देने वालों से जातक घिरा रहता है, मार्केश की स्थितियाँ भी बनती है । कोई न कोई जातक घिरा रहता है।, मार्केश की स्थितियाँ भी बनती हैं । कोई न कोई जातक का शिकार करने पर तुला रहता है । दुर्घटना, अकाल मृत्यु, मधुमेह, गम्भीर शल्य क्रियाएं, अंग-भंग होना इस काल सर्प योग के प्रमुख लक्षण हैं ।