महालक्ष्मी अनुष्ठान

भगवती महालक्ष्मी के अनंत स्वरुप हैं धन के रूप में, व्यापर के रूप में, समृद्धि के रूप में, ऐश्वर्य के रूप में, सौन्दर्य के रूप में, ज्ञान के रूप में, विज्ञानं के रूप में, सफलता के रूप में, स्वस्थ के रूप में, इत्यदि इत्यादि अनंत रूप हैं |

भगवती महालक्ष्मी के साधना से कुल में, वंश में, परिवार में, समाज में, एवं व्यक्ति विशेष में, धन रूपी अनंत प्रकार के बीजों का अंकुरण होता है और धीरे-धीरे धन रूपी विशाल वटवृक्ष का निर्माण होता है, जिसकी छॉंव में समस्त वासनाओं एवं मनोकामनाओं की तृप्ति होती है | यही तृप्ति कालांतर निवृत्ति की और ले जाती है और निवृत्ति के बाद मोक्ष की प्रतिक्रिया, मोक्ष की क्रिया प्रारम्भ होती है