हमारे कर्म

हमारे कर्म फल के हिसाब से ही हमें नया जीवन मिलता है। अगर फर्श पर पानी गिरा है, पानी तो सूख जाएगा पर फर्श पर पानी के निशान रह जाते हैं।

उसी प्रकार मरने के बाद भी हमारी सूक्ष्म देह पर हमारी आत्मा पर निशान रहते हैं। उसी के हिसाब से हमें अपना जीवन भोगना पड़ता है।

हमें अपने पूर्व जन्म में कर्मों के हिसाब से इस जीवन में अपने कर्म फल भोगना पड़ते हैं। हमने अपने पूर्व जन्म में क्या किया वह अपने साफ्टवेयर में साथ लेकर आते हैं ईश्वर ने मानव शरीर की इतनी अद्भुत रचना की है आपके समस्त पाप-पुण्य सब आपके अंदर ही फीड हो जाते हैं।

Previous article

गुरू तत्व