गुरू तत्व

अपने शरीर में प्राण तत्व भी है और गुरू तत्व भी है। दीक्षा के बाद प्राणत्व और गुरू तत्व का समयोजन हो जाता है। ऐसा साधक हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। उसे अपने जीवनकाल में पूर्ण भौतिक और पूर्ण आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। क्योंकि गुरू तत्व अपके सहस्त्रार में होता है। दीक्षा के बाद प्राण सहस्त्र रूप से ऊपर की ओर उठने लगते हैं। वह उध्र्वगामी हो जाते हैं।

Guruvani

Previous article

दीक्षा
Guruvani

Next article

हमारे कर्म