पारद महाकाली

दस महाविद्याओं की साधना हेतु विशेषकर तारा साधना, दक्षिकाली साधना एवं काली साधना इत्यादि में पारद काली का विग्रह ही स्थापित किया जाता है । प्रतिदिन अनार के रस से पारद काली का अभिषेक करने से 90 दिन के भीतर ही महाकाली का आवेश साधक अनुभूत कर लेता है । पारद काली प्रदान करने की क्षमता सबी गुरुओं में नहीं होती अधिकांशत: गुरु पारद काली प्रदान करने में समर्थ ही नहीं होते इसलिए यह दुर्लभ है । दूसरी बात 90 प्रतिशत साधकों के यहाँ पारद काली तीन माह भी ठहर नहीं पाती । कहीं न कहीं से विग्रह खण्डित हो जाता है क्योंकि 90 दिन अगर साधक ने पारद काली सम्हाल ली तो वह सिद्धियों एवं आत्म अनुभूतियों के क्षेत्र में प्रविष्ठ हो जाता है ।

अगर जातक के छठवें भाव में राहु एवं बारहवें भाव में केतु तथा अन्य सभी ग्रह इन दोनों के बीच स्थित होने पर महापद्म काल सर्प योग का निर्माण होता है । महापद्म काल सर्प योग से ग्रसित जातक को महाकाली उपासाअ करनी चाहिए । पारद निर्मित महाकाली विग्रह को प्रतिदिन कमल पुष्प अर्पित करते हुए क्रीं काल्यै स्वाहा मंत्र का ज्यादा से ज्यादा जप करना चाहिए एवं दस मुखी रुद्राक्ष गले में धारण करना चाहिए अन्यथा मन में हमेशा वाचालता बनी रहती है एवं जातक हर वर्ष अपना व्यापार-व्यवसाय बदलता रहता है । यह काल सर्प योग जातक को एक स्थान पर टिकने नहीं देता, अनायास ही शत्रु बनते रहते हैं, स्त्रियों से धोखा सम्पूर्ण जीवन जातक को मिलता है । जातक का चरित्र भी हमेशा संदेह के आवरण में घिरा रहता है, कोई उस पर विश्वास नहीं करता ।

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